प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कैसे होती है
क्या आप जानते है प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री कैसे होती है
आइए आज हम जानते प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन के बारे में जैस फ्लैट या प्लॉट की रजिस्ट्री कैसे होता है कौन कौन से डॉक्यूमेंट्स चाहिए और हमें किन किन बातों को ध्यान रखना चाहिए।

जब भी आप फ्लैट खरीदते है जैसे बिल्डर से फ्लैट खरीदते है तो आप फ्लैट के फायदे और नुकसान देख ले लोकेशन कैसा है भविष्य में प्रॉपर्टी की वैल्युएशन बढ़ेगा की नहीं। फ्लैट कितने में खरीदेंगे तो आप बिल्डरंको 10 पर्सेंट बिल्डर या विक्रेता को देना होता है। बॉयर और सेलर के म्युचुअल अंडर स्टैंडिंग के बाद एक्नग्रीमेंट सेल डॉक्यूमेंट्स बनता है जो प्राइस डिसाइड हुआ है वो पैसा आपको सेलर को देना होगा उसके बाद रजिस्ट्री के लिए सेलर जाएंगे।
रजिस्ट्री से पहले ये चेक करे कोई लोन, प्रॉपर्टी टैक्स, कोई बिल बकाया न हो जैसे बिजली, पानी और गैस बिल, प्रॉपर्टी में कोई डिस्प्यूट न हो।
प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री से पहले चेक करे कि प्रॉपर्टी पहले से रजिस्टर डीड होना चाहिए, अगर प्रॉपर्टी पावर ऑफ अटॉर्नी है तो रजिस्ट्री नहीं होगा।
प्रोपर्टी की वैल्युएशन (एक्चुअल रेट या सर्कल रेत) जो ज्यादा होगा उसके हिसाब से आपको स्टांप ड्यूटी जमा करना होता है।
आईए जानते है एक उदाहरणकर तहत जैसे आपको एक प्रॉपर्टी पसंद आया एक्चुअल प्राइस 20 लाख है और एरिया के सर्कल रेत के हिसाब से 25 लाख है तो आपको 25 लाख के हिसाब से स्टांप ड्यूटी जमा करना होगा। सर्कल रेट कम होता है और एक्चुअल रेट ज्यादा होता है। स्टांप ड्यूटी अमाउंट का कैलकुलेशन जरूर कराए।
स्टांप ड्यूटी चार्जेज आपको प्रॉपर्टी अमाउंट का 3 से 8 पर्सेंटक तक देना होता होता है। स्टांप ड्यूटी आप फ्रैंकिंग मेथड/पोस्टल स्टांप (आर टी जी स/ कैश और डिमांड ड्राफ्ट) से ले सकते है, इ स्टांप, स्टॉक होल्डिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया या प्रमाणित कलेक्शन सेंटर से भी के सकते है और कुछ बैंक भी है जहां से आप ले सकते है।

स्टांप ड्यूटी खरीदने के बाद सेल डीड बनवाना बनवाना पड़ता है। कब कितना किस मोड ऑफ पेमेंट में पे किया है किस किस डेट में दिया है, और साथ ही सभी टर्म्स एंड कंडीशन सेल डीड में लिखा जाता है। बॉयर सेलर की डिटेल के साथ साथ, 2/2 गवाह की जरूरत पड़ती है बॉयर और सेलर की तरफ गवाह और उनका आधारकार्ड, आईडी प्रूफ, 2 पासपोर्ट साइज फोटो ग्राफ भी होना आवश्यक है। ध्यान रखे कि सदैव नई नई ली गई फोटो लगाए।
आपको प्रॉपर्टी का रजिस्ट्रेशन चार्जेज भी देना होता है जैसे प्रॉपर्टी का 1 पर्सेंट। हमेश सर्कल रेट ज्यादा होता है।
स्टांप ड्यूटी के खरीदने के बाद सेल डीड तैयार किया जाता है जिसके बाद प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन होता है। सुब्रेगिस्ट्रर ऑफिस में प्रॉपर्टी रजिस्ट्री होती है जहां पे हमको अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है। ऑनलाइन और टोकन से भी ले सकते है। जब का भी आपका अपॉइंटमेंट है आपको ऑफिस में जाना जरूरी है। बायर, सेलर के साथ साथ गवाह का भी होना आवश्यक है साथ में आईडी प्रूफ, अगर बॉयर और सेलर ऑफीस में नहीं पहुंच पाते है तो वो अगर किसी को ऑथराइज किया हुआ है और उसके बहाल पे जिसको ऑथोरिटी दिया जाता है वो आगे की प्रक्रिया संपन्न कर सकता है।
रजिस्ट्री ऑफिस में बॉयर सेलर का आईडी प्रूफ, फोटो चेक किया जाता है फोटो खींचा जाता है साथ ही डॉक्यूमेंट्स पे साइन भी लिया जाता है और अंगूठा भी लगवाया जाता है।
रजिस्ट्री होनेंके 7 से 10 दिन बाद ओरिजिनल पेपर रजिस्ट्री ऑफिस से मिलता है। अगर प्रॉपर्टी लोन पे है तो ओरिजिनल कापी बैंक ले के जाएगा आपको फोटो कॉपी मिलेगा।
सदैव प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन में सावधानी बरते।